इन वजहों से पाकिस्तान बन जाएगा और खतरनाक, पूरी दुनिया के लिए बन सकता है सिरदर्द
पाकिस्तान में इन दिनों जिस तरह से वहां के राजनेताओं की हालत खराब हो रही है उसका फायदा वहां के आतंकी सगंठन उठा सकते हैं।
नई दिल्ली (स्पेशल डेस्क)। पाकिस्तान में इन दिनों सभी राजनेताओं की हालत पतली हो रही है। एक तरफ जहां सत्ता से बेदखल हुए पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पर संकट लगातार गहराता ही जा रहा है, वहीं दूसरी ओर पीटीआई चीफ इमरान खान भी पीएमएल-एन के नेता द्वारा दायर एक याचिका की गिरफ्त में हैं। यह याचिका उन्हें अयोग्य करार देने के लिए दायर की गई है। इसके अलावा पीपीपी का मौजूदा समय में कोई नेता सक्रिय दिखाई नहीं देता है। रही बात पूर्व राष्ट्रपति और तानाशाह परवेज मुशर्रफ की तो उनके बारे में हर कोई वाकिफ है। लिहाजा पाकिस्तान के लिए हालात बेहद खराब हो रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी दूसरी ही सोच पर काम करती है।
अमेरिकी जनरल का ताजा बयान
यह बात अमेरिका के शीर्ष जनरल और ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष जनरल जोसेफ डनफोर्ड के उस बयान से भी स्पषष्ट होती है जिसमें उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI (आईएसआई) का आतंकियों से संबंध है। इतना ही नहीं अमेरिकी रक्षा मंत्री रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस ने भी आईएसआई की यह कहते हुए आलोचना की है कि उसकी अपनी विदेश नीति है। उनका साफतौर पर मानना है कि आईएसआई सरकार के तहत काम नहीं करती है।
खराब है पाकिस्तान के अंदरूनी हालातपाकिस्तान के अंदरूनी हालातों की यदि बात की जाए तो खैबर पंजाब, खैबर पख्तुन्ख्वां, पीओके के इलाके, सिंध और बलूचिस्तान में हालात काबू से बाहर होते जा रहे हैं। विदेश मामलों के जानकार कमर आगा का कहना है कि पाकिस्तान धीरे-धीरे दूसरा उत्तर कोरिया बनता जा रहा है। उनके मुताबिक उत्तर कोरिया और पाकिस्तान में काफी कुछ बातें समान हैं। दोनों ही परमाणु समपन्न देश हैं। इस बाबत दोनों ने ही एक-दूसरे की मदद की है और दोनों का ही पहला सबसे बड़ा समर्थक देश चीन है। लिहाजा भविष्य में पाकिस्तान भी उत्तर कोरिया की तरह दुनिया के लिए खतरा बन जाएगा। यहां की मौजूदा राजनीतिक पार्टियां हाशिये पर चली जाएंगी और सेना के मार्फत आतंकी संगठनों के पास यहां की सत्ता की चाबी होगी या यह सत्ता के शीर्ष पर होंगे।
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दोहरी मार झेल रहे नवाज
इन सभी में यदि नवाज की बात करें तो वो इस वक्त दोहरी मार झेल रहे हैं। एक तरफ एनबीए कोर्ट ने उनके बेटे हुसैन और हसन, बेटी मरियम और जमाई मोहम्मद सफदर के खिलाफ गैर जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। वहीं, दूसरी तरफ उनकी जगह लाहौर की एन120 सीट से नेशनल असेंबली का चुनाव जीतने वाली उनकी बीवी कुलसुम नवाज की हालत खराब है और उनका लंदन के अस्पताल में इलाज चल रहा है। कोर्ट ने इस दौरान नवाज के वकील की उस दलील को भी खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि क्योंकि कुलसुम की हालत खराब है और उनके बच्चे उनके पास लंदन के अस्पताल में है। लिहाजा उनके खिलाफ वारंट न जारी किया जाए।
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पाकिस्तान के मौजूदा हालात पर बात करते हुए विदेश मामलों के जानकार कमर आगा का कहना था कि वहां की राजनीति पर इस वक्त गहरा संकट है। आलम यह है कि इस राजनीति में घुसने की इच्छा रखने वाले आतंकी संगठन धीरे-धीरे इस पर अपनी पकड़ मजबूत करते दिखाई दे रहे हैं। हाल ही में लाहौर सीट से इसका साफ इशारा भी मिल जाता है, जहां पर आतंकी हाफिज सईद की तरफ ने एक दूसरे आतंकी को चुनावी मैदान में उतारा गया था। यह आतंकी भी अमेरिका द्वारा प्रतिबंधित किया जा चुका है।
चुनाव आयोग से मान्यता न मिलने पर हाफिज की धमकी
इतना ही नहीं हाफिज सईद ने अपनी एक राजनीतिक पार्टी मिल्ली मुस्लिम लीग को मान्यता देने तक के लिए पाकिस्तान के चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया था। हालांकि उसकी पार्टी को मान्यता देने वाली अर्जी को आयोग ने खारिज कर दिया था। लेकिन आतंकी सईद को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। इसका जिक्र भी उसने लाहौर की चुनावी सभा में किया था। उसका कहना था कि उसकी पार्टी कोई बस या कार नहीं है, जिसको मान्यता या रजिस्ट्रेशन लेना पड़े। उसके इतना भर कहने से उसके इरादे साफ हो जाते हैं।
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आगा मानते हैं कि पाकिस्तान में हमेशा से ही एक तरफ सरकार तो एक तरफ सेना रही है। सेना और आतंकी एक-दूसरे के हमेशा से ही बड़े समर्थक रहे हैं। यही वजह है कि सेना हमेशा से ही आतंकियों का साथ देती आई है। यही वजह है कि हमेशा यह दोनों यहां की सत्ता के दूसरे धड़े के रूप में एक साथ काम करते आए हैं। उनका यह भी कहना है कि अब सेना ने अपने में कुछ बदलाव करते हुए सत्ता हथियाने की अपनी पूर्व की नीतियों में बदलाव किया है। अब वह कोर्ट के माध्यम से यह काम करती है। यही वजह है कि भविष्य में सेना के कहने पर आयोग हाफिज सईद समेत उस जैसे कई और आतंकियों की राजनीतिक पार्टियों को मान्यता दे सकता है। यदि फिर भी ऐसा नहीं हुआ तो सेना इसके लिए आखिरी हथियार के तौर पर कोर्ट का सहारा लेगी, जो उसके हाथों की कठपुतली है।
भारत से सुधरे रिश्ते नहीं मंजूर
आगा का यह भी कहना है कि जिस किसी ने भारत के साथ संबंधों को सुधारने के लिए कदम जरा भी आगे बढ़ाया है, उसको पाकिस्तान में मुंह की खानी पड़ी है। इसका जिक्र करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि परवेज मुशर्रफ ने अटल बिहारी वाजपेयी के साथ जो समझौता किया वह वहां के आतंकियों को रास नहीं आया था। इतना ही नहीं लाल मस्जिद पर हमले से वहां के कटटरपंथी मुशर्रफ से काफी खफा हैं। वहीं दूसरी तरफ नवाज ने भी परवेज मुशर्रफ पर काफी हद तक नकेल कस रखी थी। दूसरी तरफ यदि सेना की बात करें तो वह भी पूर्व सेना प्रमुख और राष्ट्रपति से खुश नहीं है। लेकिन वह इतना जरूर चाहती है कि उन्हें गिरफ्तार न किया जाए। इससे सेना के मनोबल पर असर पड़ेगा और सेना की छवि खराब होगी। यही वजह है कि वह परवेज मुशर्रफ को देश के बाहर ही ज्यादा पसंद करती है।
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